Tuesday, September 15, 2020

पंचमुंडी प्रेतासन Panch mundi aasan

 प्रेतासन के कुछ मुख्य प्रकार:-

पंचमुंडी, सप्त मुंडी, नव मुंडी आसन:-


पंच-मुंडी आसन:-

आगम तंत्र के अनुसार सबसे पहले आपके पास खुद की जमीन चाहे मंदिर की ही हो 

फिर चंडाल (मुर्दा जलाने वाला), बिजजू, सियार, जहरीले साँप की खोपड़ी और बंदर की खोपड़ी यह पांच तरह की खोपड़ी और एक मनुष्य की खोपड़ी अलग से पूजन के लिए टोटल 06 खोपड़ी गणेश, पंच देव,भैरव के बाद पंचामृत से पांच खोपड़ियों को स्नान करने के बाद अलग-अलग मंत्र से पंचोपचार पूजन के बाद खोपड़ियो को गड्ढे में  गाड़ कर ऊपर सीमेंट का चबूतरा वरना कर शमशान काली की मूर्ति विधिवत प्राणप्राठिसता करके मंत्र  सिद्ध करें,पांच खोपड़ी  में चार को मांसाहार और बंदर की खोपड़ी के लिए  फल का भोग चढ़ाने की रोजाना नियमित रूप से भोग और पूजन करना चाहिए, मै  पूजन करवा सकता हूं

साँप की मंडी शुक्रवार को, इंसान, बिज्जू/बैजर और बन्दर की शनिवार को, सियार/लोमड़ी की बुधवार को

इन सबको पहले से जुगाड़ करके शनिवारी अमावस्या को आसन बनाने के लिए लाना है, फिर शुद्धि करना है गंगाजल या नदी के जल से नही शराब से धोकर शुद्धि करनी है

बांये में बंदर की मुंडी, दाँये में सियार की मुंडी, चारों के बीच में मनुष्य की मुंडी, सियार के साइड में सांफ की मंडी और बंदर की साइड में बिज्जू की मंडी 

भोग:- धूप, डीप अगरबत्ती, शराब रोज 03 महीने तक, अमावस्या और पूर्णिमा को मछली जलाना है साथ मे मछली के मास के साथ सूखा तेल, काले सरसों, मुर्गी से मिलाकर कुल 06 लड्डू बनाने है अमावस्या पूर्णिमा को भोग के लिए बंदर के लिए सात्विक या फल, 03-04 महीने में जब सिद्ध होजाए तो स्वप्न में पता चलेगा 02-03 साल भी लग सकते है सिद्ध होने पर

खोपड़ी पर हाथ रखकर आच्छादन जप करना है मनुष्य की खोपड़ी पर 108 और बाकी पर 54 बार

सावधानी:-

1. भोग डेली लगना हर अगर 01 सप्ताह भी चुके तो फिर दोबारा आसन पर बैठना के बारे में भूल जाना

2. गलती से भी गंगाजल, तुलसी या किसी तीर्थ का जल न पड़े, ध्यान रखे कुत्ते आदि जाकर न बैठ

3. स्थान स्वयं का निजी हो सरकारी, नगर निगम, दूसरे की जमीन पर न बनाये और मिटाने अपने जीवन काल में कभी भूल न करें 4. लाइफटाइम भोग देना है, सुरक्षा रखनी है !

कब्र बिज्जू (Honey badger):
बिज्जू दुनिया का सबसे निर्भीक जीव, जो शेर जैसे अपनेक्से बड़े जीव को भी अपनी ताकत और क्रूरता के भागने ने सक्षम होता है,
बिज्जू जाति के जीव में एक प्रजाति ऐसी भी आती है, बिज्जू और कब्र बिज्जू दोनों अलग है, जमीन में गड़े मुर्दों को खाते हैं। ये बिज्जू इतने शातिर होते हैं कि जमीन में कई-कई फुट गहरे सुरंगनुमा गड्ढे खोद देते हैं कि जमीन में दबी कब्रों तक पहुंच जाते हैं, जहां से यह कब्रों में दबाई गई लाशों को खा जाते हैं। कब्रों को खोदने में माहिर माने जाने वाले इस बिज्जू को कब्रबिज्जू भी कहा जाता है। खूखार जीव है बिज्जू की मोटी चमड़ी के कारण अन्य जानवर इससे दूर रहते हैं। यह लंबी मांद बनाकर रहता है। इसके शरीर का ऊपरी भाग भूरा, बगल और पेट काला तथा माथे पर चौड़ी सफेद धारी होती है। हर पैर पर पांच मजबूत नाखून होते हैं जो मांद खोदने के काम आते हैं। यह अपने पुष्ट नखों से कब्र खोदकर मुर्दा भी खा लेता है। यह सर्वभक्षी जानवर है। खास बात यह है कि जमीन के नीचे दबे मुदरें को शिकार बनाता है। पानी की तलाश में यह जंगल से आबादी की ओर आ जाता है। तालाब और नदियों के किनारे 25-30 फीट लंबी मांद बनाकर रहते हैं। बता दें कि यह मनुष्य को हानि तो नहीं पहुंचाता मगर जान पर बन आने पर किसी को भी काट लेता है।

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