प्रेतासन के कुछ मुख्य प्रकार:-
पंचमुंडी, सप्त मुंडी, नव मुंडी आसन:-
पंच-मुंडी आसन:-
आगम तंत्र के अनुसार सबसे पहले आपके पास खुद की जमीन चाहे मंदिर की ही हो
फिर चंडाल (मुर्दा जलाने वाला), बिजजू, सियार, जहरीले साँप की खोपड़ी और बंदर की खोपड़ी यह पांच तरह की खोपड़ी और एक मनुष्य की खोपड़ी अलग से पूजन के लिए टोटल 06 खोपड़ी गणेश, पंच देव,भैरव के बाद पंचामृत से पांच खोपड़ियों को स्नान करने के बाद अलग-अलग मंत्र से पंचोपचार पूजन के बाद खोपड़ियो को गड्ढे में गाड़ कर ऊपर सीमेंट का चबूतरा वरना कर शमशान काली की मूर्ति विधिवत प्राणप्राठिसता करके मंत्र सिद्ध करें,पांच खोपड़ी में चार को मांसाहार और बंदर की खोपड़ी के लिए फल का भोग चढ़ाने की रोजाना नियमित रूप से भोग और पूजन करना चाहिए, मै पूजन करवा सकता हूं
साँप की मंडी शुक्रवार को, इंसान, बिज्जू/बैजर और बन्दर की शनिवार को, सियार/लोमड़ी की बुधवार को
इन सबको पहले से जुगाड़ करके शनिवारी अमावस्या को आसन बनाने के लिए लाना है, फिर शुद्धि करना है गंगाजल या नदी के जल से नही शराब से धोकर शुद्धि करनी है
बांये में बंदर की मुंडी, दाँये में सियार की मुंडी, चारों के बीच में मनुष्य की मुंडी, सियार के साइड में सांफ की मंडी और बंदर की साइड में बिज्जू की मंडी
भोग:- धूप, डीप अगरबत्ती, शराब रोज 03 महीने तक, अमावस्या और पूर्णिमा को मछली जलाना है साथ मे मछली के मास के साथ सूखा तेल, काले सरसों, मुर्गी से मिलाकर कुल 06 लड्डू बनाने है अमावस्या पूर्णिमा को भोग के लिए बंदर के लिए सात्विक या फल, 03-04 महीने में जब सिद्ध होजाए तो स्वप्न में पता चलेगा 02-03 साल भी लग सकते है सिद्ध होने पर
खोपड़ी पर हाथ रखकर आच्छादन जप करना है मनुष्य की खोपड़ी पर 108 और बाकी पर 54 बार
सावधानी:-
1. भोग डेली लगना हर अगर 01 सप्ताह भी चुके तो फिर दोबारा आसन पर बैठना के बारे में भूल जाना
2. गलती से भी गंगाजल, तुलसी या किसी तीर्थ का जल न पड़े, ध्यान रखे कुत्ते आदि जाकर न बैठ
3. स्थान स्वयं का निजी हो सरकारी, नगर निगम, दूसरे की जमीन पर न बनाये और मिटाने अपने जीवन काल में कभी भूल न करें 4. लाइफटाइम भोग देना है, सुरक्षा रखनी है !
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